Jagannath Temple Viral Video: ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें दिख रहा है कि मंदिर के शिखर पर लगे ध्वज के चारों ओर एक गरुड़ पक्षी (भगवान विष्णु का वाहन) चक्कर लगा रहा है। यह नज़ारा देखकर भक्तों में खासा उत्साह है। कई लोग इसे भगवान जगन्नथ की “दिव्य लीला” मान रहे हैं और कह रहे हैं कि यह शुभ संकेत है। वहीं, कुछ लोगों ने इसे अशुभ घटना से भी जोड़कर चिंता जताई है।
मंदिर प्रशासन ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि गरुड़ का मंदिर परिसर में दिखना भगवान के साथ उनके खास रिश्ते को दिखाता है। जानकार बताते हैं कि हिंदू मान्यताओं में गरुड़ को दैवीय पक्षी माना जाता है, इसलिए यह घटना लोगों के लिए आस्था का विषय बन गई है।
जगन्नाथ मंदिर का अनोखा रहस्य: हवा चलो जिधर, ध्वजा का मुंह उधर नहीं! वैज्ञानिक भी हैरान।
पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा एक ऐसा रहस्य है जो विज्ञान के लिए भी पहेली बना हुआ है। यहां के मुख्य शिखर पर लगा ध्वज हवा चलने की दिशा से उलट कभी नहीं घूमता। चाहे हवा उत्तर से दक्षिण चल रही हो या पूरब से पश्चिम, ध्वजा का मुंह हमेशा एक ही दिशा में रहता है। यह नज़ारा देखकर वैज्ञानिकों के पसीने छूट गए हैं, क्योंकि यह प्राकृतिक नियमों को चुनौती देता है।
स्थानीय लोग इसे भगवान जगन्नाथ का “चमत्कार” मानते हैं। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह ध्वज सदियों से इसी तरह लहराता आया है। वहीं, विज्ञान के जानकार इसे गुरुत्वाकर्षण या इमारत की खास बनावट से जोड़कर समझने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल, यह रहस्य आस्था और विज्ञान के बीच बहस का विषय बना हुआ है।
जगन्नाथ मंदिर का अनोखा रिवाज़: 45 मंजिल ऊंचाई पर रोज़ बदलता है ध्वज, नहीं बदला तो 18 साल बंद रहेगा मंदिर!
पुरी के जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक परंपरा सदियों से लोगों को हैरान करती आई है। यहां का मुख्य ध्वज हर रोज़ बदला जाता है, और इसके पीछे की मान्यता काफी डरावनी है। कहा जाता है कि अगर एक भी दिन यह ध्वज नहीं बदला गया, तो मंदिर 18 साल के लिए बंद हो जाएगा। साथ ही, अगर इस बीच कपाट खोले गए, तो प्रलय आने का भी डर है!
इस ध्वज को बदलने का काम कोई आसान नहीं। मंदिर के शिखर पर लगे इस ध्वज तक पहुंचने के लिए एक पुजारी को हर दिन करीब 45 मंजिल जितनी ऊंचाई पर चढ़ाई करनी पड़ती है। बिना किसी सुरक्षा रस्सी के यह खतरनाक चढ़ाई सदियों से चली आ रही है। लोगों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ की कृपा से ही पुजारी सुरक्षित रहते हैं।
वैज्ञानिक इस परंपरा को समझने में उलझे हैं, लेकिन भक्तों के लिए यह आस्था का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर भी इस रहस्यमयी रिवाज़ को लेकर चर्चा होती रहती है।
रहस्यमयी कहानी: सपने से शुरू हुई जगन्नाथ मंदिर की ध्वज बदलने की परंपरा!
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक पुरानी कथा बेहद दिलचस्प है। कहते हैं कि एक बार एक भक्त ने सपने में देखा कि मंदिर का ध्वज फट गया है। जब पुजारियों ने सुबह ध्वज को चेक किया, तो वह सचमुच फटा हुआ मिला! इस चमत्कारी घटना के बाद ही रोजाना ध्वज बदलने की परंपरा शुरू हुई। मान्यता है कि पुराना ध्वज नकारात्मक ऊर्जा को अपने में समा लेता है, इसलिए उसे हर दिन नए ध्वज से बदल दिया जाता है।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी पुजारी बिना किसी डर के 45 मंजिल की ऊंचाई पर चढ़कर ध्वज बदलते हैं। लोगों का मानना है कि भगवान जगन्नाथ की कृपा से यह काम संभव हो पाता है। वहीं, कुछ लोग इसे विज्ञान से जोड़कर समझने की कोशिश भी करते हैं, लेकिन भक्तों के लिए यह आस्था और विश्वास का सवाल है।
जगन्नाथ मंदिर का 1000 किलो चक्र! विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया, कैसे पहुंचा इतनी ऊंचाई पर?
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा सुदर्शन चक्र आज भी विज्ञान के लिए बड़ा सवाल बना हुआ है। यह चक्र करीब 1000 किलोग्राम वजनी है और इसे मंदिर की सबसे ऊंची चोटी पर सैकड़ों साल पहले लगाया गया था। हैरानी की बात यह है कि उस जमाने में न तो क्रेन जैसी मशीनें थीं और न ही इतनी तकनीक, फिर भी इतना भारी चक्र कैसे ऊपर पहुंचा? इस सवाल का जवाब आज तक कोई नहीं दे पाया।
स्थानीय मान्यताओं के मुताबिक, यह चक्र भगवान जगन्नाथ की “दिव्य शक्ति” से वहां स्थापित हुआ। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि हो सकता है उस समय किसी खास इंजीनियरिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया हो, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं मिला है। आज भी पर्यटक और शोधकर्ता इस चक्र को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।